Sunday, September 24, 2023

आस्तिक और नास्तिक की विचारधारा


आस्तिक और नास्तिक की विचारधारा 

साथियों कहना बड़ा आसान है 

कि तुम नास्तिक हो हम आस्तिक है 

नास्तिक वो होता है जिसे असली ज्ञान का बोध हो जाता है 

ज्ञान और समझ वह माध्यम है जिसमें किसी तथ्य, वस्तु एवं अवधारणा के रूप में समझा जा सकता है और आस्तिक वो होता है जिसमे चलती फिरती डर की दुकान होती है जो हमेशा डरा सहमा रहता है जो अंधविश्वास पर भरोसा करके चलता है जो किसी ने नहीं देखा 


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जिसका कोई वजूद नहीं जो हमेशा 

धोखे में जीवन जीता है उसे ही आस्तिक कहा जाता है 

जो तथ्यों को नही समझ पाता हो 

जो गणित विज्ञान को नही समझ पाता 

वो ही आस्तिक होता है आगे बढ़ने से पहले एक छोटी सी खबर जो हमारे लिए बहुत बड़ी है के बारे में जानिए 

साथियों पेरियार की जयंती पर कुछ अपद्र्वियो ने कल अंबेडकर मेमोरियल दिल्ली में बाबा साहेब स्थल पर पूजा पाठ करने की कोशिश की है बाबा साहेब अंबेडकर के स्थलों पर पूजा पाठ करना और करवाना सबसे बड़ा कानूनी जुर्म है 

अंबेडकर साहेब के विचारो का यें लोग ब्राह्मणी करण करना चाहते है उनके विचारो को भी अंधविश्वास की भट्टी में झोंकना चाहते है बुद्ध से लेकर संत रविदास संत कबीर दास और तमिलनाडु के संत रामदास चमार के विचारो को भी इनके द्वारा ब्राह्मणी करण किया गया आज फिर से ये अंबेडकर के विचारो का ब्राह्मणी करण कर रहे है 

देखिए साथियों ev रामास्वामी पेरियार ने क्या कहा था

खुद ही विचार करें

ईश्वर की सत्ता स्वीकारने में

किसी बुद्धिमत्ता की आवश्यकता

नहीं पड़ती, लेकिन नास्तिकता के

लिए बड़े साहस और दृढ विश्वास

की जरुरत पड़ती है. ये स्थिति

उन्हीं के लिए संभव है जिनके पास

तर्क तथा बुद्धि की शक्ति हो.

पेरियार ई. वी. रामासामी नायकर 

साथियों कोई भी गणित का सवाल उठाए और उसे बिना नियमो के हल करके देखना आपको कोई भी सही जवाब नही मिलेगा विज्ञान भी इसी प्रकार है बिना तथ्यों और आंकड़ों के एक कदम भी व्यक्ति नहीं चल सकता 

साथियों एक भी आस्तिक का नाम बताओ जिसने कोई अविष्कार किया हो एक भी आस्तिक का नाम बताओ जिसके पास किसी देवी देवता आदि भगवान के होने के ठोस सबूत हो एक भी आस्तिक का नाम बताओ जिसने समाज सुधार के लिए कोई काम किए हो एक भी आस्तिक का नाम बताओ जिसने किसी प्रकार की खोज की हो एक भी ऐसे आस्तिक व्यक्ति का नाम बताओ जिसने पाखंडवाद अंधविश्वास को बढ़ावा न दिया हो या अंधविश्वास की भट्टी में झोंकने का काम न किया हो

 एक भी ऐसे देवी देवता का नाम बताओ जिसने कोई खोज की हो 

एक भी ऐसे देवी देवताओं के नाम बताओ जिसने किसी sc st obc के महापुरुषों की कोई हत्या ना की हो 

साथियों सभी भाइयों बहनों को सादर जय भीम साथियों आज हमने ऐसे विचारो को शामिल किया है जिनकी वजह से हमारी देश की अधिकांस महिलाए माताएं और बहनों sc sct obc की महिलाओं पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है इन महिलाओं की वजह से पीढ़ी दर पीढ़ी उनके बच्चे और परिवार के पुरुषो पर भी काफी गहरा प्रभाव पड़ता है बात सीधी सी है कि महिलाएं अक्सर डरी हुई रहती है उनको अपने बच्चो पति आदि का भय बना रहता है कि अरे कहीं किसी देवी देवता भूत प्रेत बाबाओं की वजह से हमारे परिवार पर कोई संकट न आ जाय घर में कोई बीमारी ना हो जाए घर में क्लेश न हो जाए इसी डर की वजह से ये लोग बाबाओं की शरण में मंदिरो की शरण में पाखंडियों की शरण में जितनी भी छोटी बड़ी दुकानें बाजार में सत्संगी महात्माओं की खुली है उनके पास अपनी सभी समस्याओं को लेकर जाना शुरू करती है जिसकी वजह से घर में और अधिक क्लेश रहने लगता है बेरोजगारी की शुरुआत होने लगती है बच्चो की शिक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ता है  आप दीनहीन होने लगते है अपने काम को छोड़कर बेवजह के झंझटो में पड़ने लगते है आपको और ज्यादा डराया जाने लगता है आप का समय और पैसा दोनो बरबाद होने लगता है आप निठल्ले हो जाते है आप कामचोर हो जाते है आप ये समझने लगते है कि भगवान की महिमा होगी तो सब ठीक हो जायेगा साथियों आपके सब कामों को ठीक करने के लिए आपको ही कदम उठाना पड़ेगा यहां कोई भगवान किसी के काम ठीक करने कराने नही आयेगा सब कुछ हमें और आपको खुद ही करना होगा 

इसकी दूसरी वजह क्या है साथियों घर में अधिकांश पुरुष वर्ग इन अंधविश्वासी बातो पर कभी विश्वास ही नहीं करना चाहता है क्योंकि उसे बाहरी समाज की जानकारी होती है कि देश में क्या चल रहा है लेकिन उसे मजबूरी में अपनी घर की महिलाओं के साथ मजबूरी में मानना पड़ता है न चाहते हुए भी हकीकत यहीं है यकिन नहीं तो आप अपने घर के पुरुषो से पूछो यदि वह झूठ न बोलें सच आपके सामने सीसे की तरह साफ दिखाई देगा 

 साथियों अपवाद हर जगह होता कुछ महिलाए ऐसे भी होती कि वो इनमे बिलकुल भी विश्वास नहीं करती तथा कुछ पुरुष ऐसे भी होते है जो बहुत अधिक अंधविश्वास पर भरोसा करते है साथियों जबकि इनकी किसी भी समस्या का कोई हल इन बाबाओं के पास नही होता है यदि इनके पास इन सबका समाधान होता तो वो सबसे पहले खुद के उपर अप्लाई क्यों नही करते। अच्छा एक बात बताओ जब व्यक्ति बीमार पड़ता है तो वो डॉक्टर के पास दौड़ा दौड़ा क्यों जाता है वो मंदिर में , सत्संगी महात्माओं पुजारियों के पास क्यों नही जाते है क्यों अपना इलाज कराने डॉक्टर के पास जाते है अच्छी शिक्षा अच्छा रोजगार पाने के लिए स्कूलों में क्यों जाते हो अच्छी फसल उगाने के लिए क्यों किसान दिन रात शर्दी गर्मी बारिश धूप आदि में अपने खेतों में कड़ी मेहनत करके अच्छा अनाज पैदा करता है उसे अनाज पैदा करने की क्या जरूर पड़ेगी वो हाथ पर हाथ धरे बैठा रहे कि भगवान तो है सबको सहरा देने वाले काम क्यों करना इसी भरोसे बैठा रहे तब देखना आपको भूखे न सड़ना पड़े तो कहना साथियों वैज्ञानिक लोग क्यों दिन रात कड़ी मेहनत करके नए नए आविष्कार करते है आज जिस फोन से आप ये वीडियो देख रहे हो टीवी देखते हो या अन्य प्रकार की तमाम सुविधाओं का लाभ ले रहे वो सब विज्ञान की देन है एक सुई और माचिस की तिल्ली से लेकर एक हवाई जहाज तक का अविष्कार करने वाले सभी वैज्ञानिक नास्तिक ही थे एक भी वैज्ञानिक का नाम बताओ जिसने अंधविश्वास का समर्थन किया हो या अंधविश्वास में विश्वास किया हो तमाम वैज्ञानिकों ने ईश्वरीय और देवी देवताओं के होने के संबंध को नकारा है सम्पूर्ण विश्व में एक मात्र बुद्ध को ही सत्य और विज्ञान की खोज कर्ता के रूप में जाना जाता है साथियों हमारे जितने भी महापुरुष हुए है चाहे महात्मा बुद्ध हो संत रविदास हो कबीरदास हो अंबेडकर फुले पेरियार हो साहेब कांशीराम हो या sc st obc के जितने भी महापुरुष हुए है उनके बारे में हमने कभी भी जानने की कोशिश नही की बल्कि उनकी विचारधारा के विपरीत चलने का काम किया है जहां पर शिक्षा रोजगार और आपके अधिकार की बात नहीं की जाती है वहां उस दलदल रूपी अंधविश्वास में आपको धकेला जा रहा है आपको मानसिक गुलाम बनाया जा रहा है साथियों हमारे महापुरुषों ने 

 हमेशा अंधविश्वास का पुरजोर विरोध किया है लेकिन हमारे अंदर सबसे बड़ी कमी ये रही कि हमने उनको पढ़ा नही और न ही उनके बारे में कभी जानने की कोशिश ही की बस किसी पड़ोसी या किसी रिश्तेदार ने जैसा अंधविश्वास हमे बताया तो हम उसी पर चलने लगे हमने कभी ये तक जानने की कोशिश नही की 

कि हमारे महापुरुषों ने हमे क्या बताया और नही हम जानना चाहते है बस अपनी जिंदगी को खाई में धकेल रहे है साथियों 

 दरअसल विज्ञान ही संपूर्ण ब्रह्मांड में मौजूद सभी तत्वों का निर्माण करता है इसके निर्माण में किसी ईश्वरीय शक्ति का होना 

कोई मायने नहीं रखता ईश्वर एक धोखा है और धोखा क्या होता है ये आप भलीभांति समझते हो यदि आपके साथ कोई धोखा करता है तो आप समझ सकते हो आपको उस पर कितना क्रोध आयेगा 

साथियों आगे हम जो बताने वाले है उसको भी आपको जानना चाहिए 

साथियों प्राचीन काल से लेकर आज तक दलितों पिछड़ों आदिवासियों को शिक्षा से दूर क्यों रखा गया है और आज भी शिक्षा से दूर करने का काम किया जा रहा देश की तमाम बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटी में देख लीजिए की दलितों पिछड़ों आदिवासियों के छात्रों पर जुल्म ज्यादती की सारी हदें पार की जाती रही है छात्रों को इतना टॉर्चर किया जाता है कि या तो पढ़ना लिखना छोड़ दे या फिर आत्म हत्या को मजबूर हो जाए ये सब आज से ही नहीं हो रहा ये सब सदियों से इन ब्राह्मणी ताकतों के द्वारा लगातार किया जा रहा है आप श्री कृष्ण राम द्रोणाचार्य भीम आदि को हो देख लीजिए और जान ले कि ये आपके भले में है या फिर आपके विरोधी है जिन्हे आप अपने हृदय से चिपका के रखते हो आइए सत्य घटना को जो मनुवादियों द्वारा लिखी गई है समझे कि द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा कटा था और श्री कृष्ण ने एकलव्य का सिर काट दिया था और भीम ने एकलव्य के पुत्र को मारा था और राम ने शाबुक ऋषि को तपस्या करते हुए मार डाला था इनके तथा कथित देवीदेवताओ ने दलितों शूद्रों आदिवासियों को पढ़ने लिखने पर उनकी हत्या करने का काम किया है और आज भी कर रहे है आइए महाभारत से ली गई इस कहानी को समझते है साथियों आपने स्कूलों की किताबो में देखा होगा कि एकलव्य का अंगूठा द्रोणाचार्य ने काट लिया था लेकिन किताबो में आपको देखने को नहीं मिलेगा की श्री कृष्ण ने अर्जुन को श्रेष्ठ साबित करने के लिए एक आदिवासी भील धनुर्धर एकलव्य की गर्दन काट कर हत्या कर दी साथियों 

एकलव्य अकेले सैकड़ो यदुववंशी योद्धाओं को रोकने में सक्षम था। इसी युद्ध में कृष्ण ने एकलव्य का वध किया था। उसका पुत्र केतुमान भीम के हाथ मारा गया था।

एकलव्य की कुशलता महाभारत काल में प्रयाग के तटवर्ती प्रदेश में सुदूर तक फैला श्रृंगवेरपुर राज्य एकलव्य के पिता निषादराज हिरण्यधनु का था। उस समय श्रृंगवेरपुर राज्य की शक्ति मगध, हस्तिनापुर, मथुरा, चेदि और चंदेरी आदि बड़े राज्यों के समकक्ष थी। पांच वर्ष की आयु से ही एकलव्य की रुचि अस्त्र-शस्त्र में थी।


युवा होने पर एकलव्य धनुर्विद्या की उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहता था। उस समय धनुर्विद्या में गुरु द्रोण की ख्याति थी, पर वे केवल विशेष वर्ग को ही शिक्षा देते थे। पिता हिरण्यधनु को समझा-बुझाकर एकलव्य आचार्य द्रोण से शिक्षा लेने के लिए उनके पास पहुंचा, पर द्रोण ने दुत्कार कर उसे आश्रम से भगा दिया।एकलव्य हार मानने वालों में से न था। वह बिना शस्त्र-शिक्षा प्राप्त किए घर वापस लौटना नहीं चाहता था। इसलिए उसने वन में आचार्य द्रोण की एक प्रतिमा बनाई और धनुर्विद्या का अभ्यास करने लगा। शीघ्र ही उसने धनुर्विद्या में निपुणता प्राप्त कर ली।


एक बार द्रोणाचार्य अपने शिष्यों और एक कुत्ते के साथ उसी वन में आए। उस समय एकलव्य धनुर्विद्या का अभ्यास कर रहे थे। कुत्ता एकलव्य को देख भौंकने लगा। कुत्ते के भौंकने से एकलव्य की साधना में बाधा पड़ रही थी, इसलिए उसने अपने बाणों से कुत्ते का मुंह बंद कर दिया। एकलव्य ने इस कौशल से बाण चलाए थे कि कुत्ते को किसी प्रकार की चोट नहीं लगी। कुत्ता द्रोण के पास भागा। गुरु द्रोण और शिष्य ऐसी श्रेष्ठ धनुर्विद्या देख आश्चर्य में पड़ गए। वे उस महान धुनर्धर की खोज में लग गए। अचानक उन्हें एकलव्य दिखाई दिया। साथ ही अर्जुन को संसार का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाने के वचन की याद भी हो आई। द्रोण ने एकलव्य से पूछा- तुमने यह धनुर्विद्या किससे सीखी? इस पर उसने द्रोण की मिट्टी की बनी प्रतिमा की ओर इशारा किया। द्रोण ने एकलव्य से गुरु दक्षिणा में एकलव्य के दाएं हाथ का अगूंठा मांग लिया। एकलव्य ने साधनापूर्ण कौशल से बिना अंगूठे के धनुर्विद्या में पुन : दक्षता प्राप्त कर ली। पिता की मृत्यु के बाद वह श्रृंगबेर राज्य का शासक बना और अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार करने लगा। वह जरासंध की सेना की तरफ से मथुरा पर आक्रमण कर कृष्ण की सेना का सफाया करने लगा। सेना में हाहाकार मचने के बाद श्रीकृष्ण जब स्वयं उससे लड़ाई करने पहुंचे, तो उसे सिर्फ चार अंगुलियों के सहारे धनुष-बाण चलाते हुए देखा, तो उन्हें अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ। कि एक शुद्र कैसे ये सब कर सकता है , इसलिए कृष्ण को एकलव्य का संहार करना पड़ा।

एकलव्य अकेले ही सैकड़ों यादव वंशी योद्धाओं को रोकने में सक्षम था। इसी युद्ध में कृष्ण ने छल से एकलव्य का वध किया था। उसका पुत्र केतुमान महाभारत युद्ध में भीम के हाथ से मारा गया था।जब युद्ध के बाद सभी पांडव अपनी वीरता का बखान कर रहे थे तब कृष्ण ने अपने अर्जुन प्रेम की बात कबूली थी।

कृष्ण ने अर्जुन से स्पष्ट कहा था कि “तुम्हारे प्रेम में मैंने क्या-क्या नहीं किया है। तुम संसार के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कहलाओ इसके लिए मैंने द्रोणाचार्य का वध करवाया, महापराक्रमी कर्ण को कमजोर किया और न चाहते हुए भी तुम्हारी जानकारी के बिना भील पुत्र एकलव्य को भी वीरगति दी ताकि तुम्हारे रास्ते में कोई बाधा ना आए”।गौरतलब है कि अर्जुन की जीत की राह में किसी तरह की बाधा न आए इसलिए श्रीकृष्ण ने छल किया और एकलव्य का वध करते हुए उनको अपने हाथों वीरगति प्रदान की.

जिन लोगों को सदाचारी और हमेशा धर्म की राह पर चलनेवाला बताया गया था उन्हीं लोगों ने महाभारत की कहानी में सबसे ज्यादा छल किया. और एकलव्य जैसे पारंगत धनुर्धारी के लिए सबसे ज्यादा क्रूर साबित हुए.

चाहे वो स्वयं भगवान श्रीकृष्ण हो या फिर गुरू द्रोणाचार्य 

या फिर रामायण के राम हो इन सबका एक ही चरित्र है कि आगे बढ़ते हुए शुद्र को कैसे पीछे हटाया जाए चाहे डर से यार फिर हत्या से

 ये सब इनके लिए प्राचीनकाल की कहानियों से लेकर आज के समय की घटनाओं तक लगातार होता आ रहा है तो फिर किस उम्मीद से आप लोग इनके झूठे धर्मग्रंथों और कर्मकांडो में लिप्त हो रहे है ये लोग कभी आपके हित की बात नहीं करेंगे बल्कि जहां  पर इनका हित होगा। वहां पर अपनी बात करेंगे और हमेशा आपको उलझाए रखेंगे 

साथियों हमे आपके सपोर्ट की बहुत जरूरत है हमारे इस छोटे से कदम को बढ़ाने के लिए आपसे एक गुजारिश है कि 

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